Friday 5 July 2013

मेरी जिस रचना से उन्हें खट्टी खट्टी डकारें आ रही हैं, उसे खुद उन्होंने अपने ब्लॉग पर बड़ा सजा के लगाया हुआ है


लो कल्लो बात,  आप गुरूजी बेंगन खायें, दूजों को उपदेश सुनायें . नारी के नाम 

पर शब्दविलास करके टाईमपास करने वाली एक नारी [ ब्लॉग ] ने मेरी एक पोस्ट 

का विरोध करते हुए उसे हटाने  का निवेदन किया जिसे मैंने  तुरंत हटा दिया ........

क्योंकि मैं उसे वैसे भी हटाने वाला ही था . 



मेरी रचना  अन्य रचना की तरह घटिया और भौंडी हो, ये मैं भी नहीं चाहता था . 


लेकिन कई दिनों से कई लोग अपनी अपनी रचना इशरत जहाँ पर ही टिका रहे थे 

तो समय के साथ बहते हुए मैंने भी एक रचना  टिका ही दी .  मेरे  टिकाते ही कुछ 

लोगों को मिल गया मसाला  विरोध करने का ........लेकिन मेरे धुर विरोधी ये भूल 

गए कि  मेरी जिस रचना  से उन्हें  खट्टी खट्टी डकारें आ रही हैं, उसे खुद उन्होंने  

अपने ब्लॉग पर बड़ा सजा के लगाया हुआ है . वो  फालतू सी रचना मैंने तो मेरे ब्लॉग 

से हटा दी लेकिन उनके यहाँ अभी तक चमक रही है . 


मतलब  समझ गए न ..........हाँ ........ इनकी दुकान में खुद का सामान नहीं है ..लोगों 

का माल उठा उठा  कर लाते हैं और  बेचते हैं . इनके ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री का  

उपयोग कोई दूसरा नहीं कर सकता,लेकिन  औरों का माल  इनको  पिताजी  का घर 

दिखता  है ......टहलते हुए गए और उठा के ले आये ......दोगलेपन की पराकाष्ठा के 

चरमोत्कर्ष का चरम बिंदु तो यह है कि जिस थाली में खाते हैं  उसी में मूतते हैं


सार की बात 

यद्यपि  ब्लॉग जगत में कुछ  लोग बड़े भले हैं,  वो अपने आप से भी सन्तुष्ट हैं तथा 

दुनिया से भी . ऐसे लोग समाज के निर्माण का काम करते हैं . लेकिन  कुछ कुंठित  

तत्व ऐसे हैं  जो न  तो आत्मिक रूप से सन्तुष्ट हैं और न ही  देहिक रूप से ........

इसलिए वे  कौवों की तरह औरों  की चमड़ी में  चोंच मारने  में ही  आनंद समझते 

हैं . ये लोग मक्खियों जैसे  हैं सिर्फ़ गन्दगी पर आ कर बैठते  हैं और उसे जगह जगह  

बिखेर कर  समाज को बीमार करते हैं 


हे  ईश्वर अपनी ऐसी परजीवी  रचनाओं  को   अब तू ही सम्हाल ..हमारे पास तो अपनी 

लुगाई और टाबर को सम्हालने  का ही वक्त है , दुनिया का ठेका हमने  नहीं  ले रखा .

जय हिन्द




1 comment:

  1. श्रीमान अलबेला खत्री
    आप वैसे इस संबोधन के योग्य नहीं हैं क्योंकि आपकी पोस्ट आपको इस स्तर पर गिरा रही है आपसे उन्होंने क्या कहा केवल इतना कि आप अपनी पोस्ट हटाइए किन्तु कोई भी अभद्र भाषा का प्रयोग उन्होंने नहीं किया ,गलियां देनी सबको आती हैं क्योंकि ये इंडिया है और यहाँ गलियां हवा में बसी हैं किन्तु ये हमारे संस्कार हैं जो हमे उनका प्रयोग करने से रोकते हैं .आप अपनी भाषा में सुधार लाइए ताकि आप यहाँ सम्मानित ब्लोग्गर बने रह सकें .यद् रखिये गलियां देना हर भारतीय को अच्छी तरह से आता है मात्र कलम के शेर हैं आप और वही बने रहिये .

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